Awe 2018 Review - Tech Reviuw
Awe 2018 Review - Tech Reviuw
नमस्कार मित्रो,
कल रात साउथ की एक बहुत ही जबरदस्त फ़िल्म "Awe!" देखी.वैसे तो मैं साउथ की बहुत कम फिल्में देखता हु लेकिन सर दीपक और भाई करम ने इसका नाम लिया था तो देखने का मन कर गया और ख़ुशी है कि मेरा निर्णय गलत नहीं था.साइकोलॉजिकल ड्रामा जेनर पे बनी ये फ़िल्म दिमाग हिलाकर रख देती है.फ़िल्म के लीड रोल में काम किया है "काजल अग्रवाल", "निथ्या मेनोन", "ईशा रब्बा" और "श्रीनिवास" ने और फ़िल्म की कहानी एक रेस्टॉरेंट में बैठे कुछ कस्टमर्स के इर्द गिर्द घूमती है.
ये कहानी कई छोटी छोटी कहानियो से मिलकर बनाई गयी है.एक कहानी है वॉचमन "शिवा" की जो टाइम मशीन बना कर अपने माँ बाप से मिलना चाहता है और एक अनजान लड़की जो भविष्य से आयी है, उसको ऐसा करने से रोकना चाहती है.
"नाला" जिसको खाना बनाना नहीं आता, एक बढ़िया शेफ बनकर नौकरी पाना चाहता है और रहस्यमय ढंग से मछली की भाषा समझकर एक मछली से दोस्ती कर लेता है.मछली उसकी समस्या सुलझाती है और कुकिंग में उसकी मदद करती है.
"राधा" शादी करने के लिए अपने माँ बाप से अपने प्यार "कृष" को मिलवाना चाहती है लेकिन उसके माता पिता को "कृष" नहीं पसंद क्यूंकि वो एक लड़की है.इसलिए वो उसको एक्सेप्ट नहीं करते.
"मोक्षा" एक 8 साल की बच्ची है जो जादू दिखाती है लेकिन दूसरा जादूगर "योगी" उसका मज़ाक बनाता है और खुद को ग्रेट बताता है.तब मोक्षा उसको दुनिया के सबसे ग्रेट जादूगर से मिलवाती है और "योगी" बुरी तरह उसके जाल में फंस जाता है.
"मीरा" एक वेट्रेस है जो अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर रेस्टॉरेंट में आये एक इन्वेस्टर का पैसा उड़ाना चाहते है.लेकिन समस्या तब खड़ी होती है ज़ब "मीरा" को पता चलता है कि उस रेस्टॉरेंट में एक आत्मा घूम रही है.
इन सबके बीच एक लड़की "काली" है जो अजीब परिस्थितियों में फंसी हुई है और खुद को दिलासा दे रही है.फिर क्या हुआ?क्या "शिवा" टाइम मशीन बना पाया?क्या "नाला" को नौकरी मिल पायी?क्या "राधा" के माता पिता उसकी शादी के लिए मान गए?"योगी" दुनिया के सबसे बड़े जादूगर के जाल से कैसे निकला?रेस्टॉरेंट में रह रही आत्मा से "मीरा" कैसे बची?इन सभी सवालों के जवाब के लिए आपको ये बेहतरीन फ़िल्म देखनी होंगी.
कहानी की बात करें तो शुरू के घंटा भर शायद फ़िल्म आपको समझ ही ना आये.आपको बोरियत महसूस हो सकती है या मूवी देखना बंद कर सकते है लेकिन जैसे जैसे फ़िल्म की गहराई में जायेंगे, फ़िल्म आपके दिमाग़ पे छाती जाएगी.और अंत होते होते आप इसके ऐसे दीवाने हो जायेंगे कि मेरी तरह बाकि दोस्तों को भी देखने के लिए बोलेंगे.फ़िल्म में किसी एक कलाकार की तारीफ करना मुश्किल है क्यूंकि सभी ने अपना 100% दिया है.डायरेक्टर की प्रशंशा भी जितनी की जाये कम है क्यूंकि जिस महीन तरीके से उन्होंने सारी कहानियो को एक धागे में पिरो कर फ़िल्म बनाई है वो काबिले तारीफ है.आखिर में एक ही बात कहूंगा.अगर आप दिमाग़ लगा कर फ़िल्म देखते है और कुछ अलग देखना चाहते है तो ये फ़िल्म जरूर देखें.यकीन मैने आपको पसंद आएगी.
क्यों देखें-अगर मेरी तरह उलझी हुई साइकोलॉजिकल फिल्में देखना बहुत पसंद करते हो.
क्यों ना देखें-अगर दिमाग़ लगाने के बजाये एक एंटरटेनिंग रोमांटिक टाइप फ़िल्म देखने का मन हो.
रेटिंग-8/10


0 comments
Please do not enter any spam link in the comment box.